tag:blogger.com,1999:blog-1086372297383435532.post1748514979657357192..comments2023-10-02T15:00:22.148+05:30Comments on आलाप: कर्म-कौशल!Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/02514200566679057059noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-1086372297383435532.post-13701191076417305722008-11-04T02:39:00.000+05:302008-11-04T02:39:00.000+05:30यह तो चिरंतन सत्य (अ) है प्रभु ।स्वामी अद्भुतानंद ...यह तो चिरंतन सत्य (अ) है प्रभु ।<BR/>स्वामी अद्भुतानंद महाराज की जय ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1086372297383435532.post-46969956838072402532008-10-13T17:56:00.000+05:302008-10-13T17:56:00.000+05:30"बिना मांगे यदि कुछ मिलता है, तो उस लेने को लेना न..."बिना मांगे यदि कुछ मिलता है, तो उस लेने को लेना नहीं, ग्रहण करना कहा जाता है। लोग स्वेच्छा से श्रद्धा भाव से देते रहे और मैं ग्रहण करता रहा। ग्रहण करना मेरी विवशता थी, क्योंकि यदि मैं ग्रहण करने से इनकार करता, तो देने वाले की भावन आहत होती और यह मेरी अशिष्टता होती है। अत: मैंने अपनी भावनाओं की परवाह न कर, शिष्टाचार का पालन करते हुए, सदैव ही दाता की भावनाओं का ख्याल रखा।"<BR/><BR/>अद्भुत व्यंग्य आलेख है..पाखंडो पर कुठाराघात करते हुए बहुत बहुत सत्य और सुंदर लिखा है आपने.आभार..रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.com