tag:blogger.com,1999:blog-1086372297383435532.post1841586197024844940..comments2023-10-02T15:00:22.148+05:30Comments on आलाप: राष्ट्रभाषा हिन्दी का अपमानAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/02514200566679057059noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-1086372297383435532.post-53374071689420853412008-01-28T17:48:00.000+05:302008-01-28T17:48:00.000+05:30शिवकुमार मिश्र की बात बिलकुल सही है. फिर भी अगर को...शिवकुमार मिश्र की बात बिलकुल सही है. फिर भी अगर कोई अपनी ..... पर तुला हो तो उसे उसके हाल पर ही छोड़ दिया जाना चाहिए. ऐसे बेवकूफों और बेहूदों की चर्चा करने की भी जरूरत नहीं होनी चाहिऐ.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1086372297383435532.post-16112941720511433862008-01-28T17:33:00.000+05:302008-01-28T17:33:00.000+05:30हिन्दी के नाम पर अवार्ड लेने वालों को शर्म आनी चाह...हिन्दी के नाम पर अवार्ड लेने वालों को शर्म आनी चाहिये अंग्रेजी से एेसा ही प्यार है तो सिनेमा को अंग्रेजी में क्यों नहीं बना लेते होना तो ये चाहिए था कि थोडा इस तरह का विरोध पत्रकारिता के क्षेत्र में भी होना चाहिए था जिसे जनता जागती।Vinod Kumar Purohithttps://www.blogger.com/profile/06387954991020592514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1086372297383435532.post-53688708480365563142008-01-28T14:57:00.000+05:302008-01-28T14:57:00.000+05:30यदि किसी मित्र ने कार्यक्रम ना देखा हो तो वीडियो य...यदि किसी मित्र ने कार्यक्रम ना देखा हो तो वीडियो यहाँ देखें. <BR/><BR/>http://www.radiosargam.com/films/archives/10426/videos-14th-annual-star-screen-awards.html/6पंकज बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/05608176901081263248noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1086372297383435532.post-80340546381721983842008-01-28T14:23:00.000+05:302008-01-28T14:23:00.000+05:30aap bilkul sahi kah rahe hai rajendraji, maine bhi...aap bilkul sahi kah rahe hai rajendraji, maine bhi yae sab dekha aur likhta ki aapki post par nazar chali gaee. maine bhi iske pahle jikra kiya tha tv ko lekar ki agar aap hindi ki behtargi ke liyae kuch kar nahi sakte to uska is tarah se apmaan na karo. kya chutiyae ki tarah anuvaad kar rahe the, gaali dene ka man kar raha tha. ise bhi dekhe, garv see kaho nahi jaante hindi....gaahe-bagaahe blog parविनीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1086372297383435532.post-63562713783964716052008-01-28T12:45:00.000+05:302008-01-28T12:45:00.000+05:30आपकी बात का यहाँ उल्लेख किया गया है:http://www.tar...आपकी बात का यहाँ उल्लेख किया गया है:<BR/><BR/>http://www.tarakash.com/special/insult-of-Hindi-in-Star-Screen-Cine-Award-08.htmlसंजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1086372297383435532.post-50814334158078580812008-01-28T12:40:00.000+05:302008-01-28T12:40:00.000+05:30टी वी न देखने की आदत के चलते यह प्रोग्राम भी नही द...टी वी न देखने की आदत के चलते यह प्रोग्राम भी नही देख पाया लेकिन इस और अन्य ब्लॉग्स से मालूम हुआ कि ऐसा कुछ हुआ है।<BR/><BR/>हिंदी का ऐसा मजाक बनाया जाना निश्चित ही निंदनीय है!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1086372297383435532.post-63074229996728507102008-01-28T11:37:00.000+05:302008-01-28T11:37:00.000+05:30बहुत ही शर्मनाक था सबकुछ. जिस तरह से हिन्दी का मजा...बहुत ही शर्मनाक था सबकुछ. जिस तरह से हिन्दी का मजाक उड़ाया गया, निहायत ही घटिया लगा.......लेकिन एक बात मैं कहना चाहूँगा. <BR/><BR/>जिस परिमल त्रिपाठी की आड़ में ये सबकुछ किया गया, वह परिमय त्रिपाठी का किरदार फ़िल्म चुपके-चुके से लिया गया था. फ़िल्म में परिमल त्रिपाठी बने धर्मेन्द्र एक जगह डेविड जी से कहते हैं; "भैया ये सबकुछ करते हुए मुझे बड़ी शर्म आ रही है. कहीं मेरी वजह से अंग्रेजी भाषा का अपमान तो नहीं हो रहा."<BR/><BR/>डेविड जी की प्रतिक्रिया; "बरखुरदार, भाषा अपने आप में ख़ुद इतनी महान होती है कि उसका अपमान कोई कर नहीं सकता."<BR/><BR/>इसलिए, साजिद खान जैसे टुच्चे लोगों से हिन्दी बहुत बड़ी है. ऐसे लोगों की वजह से भाषा का मजाक तो बन सकता है, अपमान कभी नहीं हो सकता.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1086372297383435532.post-62447162599537993382008-01-28T11:22:00.000+05:302008-01-28T11:22:00.000+05:30ये भांड-नचैये जूते खाकर ही सुधरते हैं, जैसे हुसैन ...ये भांड-नचैये जूते खाकर ही सुधरते हैं, जैसे हुसैन का हुक्का पानी बन्द किया है, वैसे ही इन हिन्दी की खाने वालों और अंग्रेजी की बजाने वालों को लतियाना चाहिये… इनसे अच्छे तो इरफ़ान पठान और धोनी हैं जो अभी तक मिट्टी की महक भूले नहीं हैं…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1086372297383435532.post-18118898239664741452008-01-28T11:19:00.000+05:302008-01-28T11:19:00.000+05:30हम मजे में हैं। गांधी जी के बन्दर की तरह टीवी देखत...हम मजे में हैं। गांधी जी के बन्दर की तरह टीवी देखते ही नहीं!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1086372297383435532.post-49662997887127298382008-01-28T11:05:00.000+05:302008-01-28T11:05:00.000+05:30हाँ कल देखी यहाँ हिन्दी की दुर्दशा ,हिन्दी बोलने म...हाँ कल देखी यहाँ हिन्दी की दुर्दशा ,हिन्दी बोलने में सब शर्म महसूस कर रहे थे :(रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1086372297383435532.post-73205445516721757582008-01-28T11:00:00.000+05:302008-01-28T11:00:00.000+05:30दिल तार तार हो गया बेशर्मी देख.दिल तार तार हो गया बेशर्मी देख.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1086372297383435532.post-5294359887860463362008-01-28T10:49:00.000+05:302008-01-28T10:49:00.000+05:30अरे आपने तो हमारे मन की बात कह दी। आज ही हम इस पर...अरे आपने तो हमारे मन की बात कह दी। आज ही हम इस पर लिखने वाले थे।<BR/>हर आदमी अवार्ड तो हिन्दी फिल्म के लिए लेता पर हिन्दी बोलने मे असमर्थता दिखाता ।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1086372297383435532.post-52271942277713276212008-01-28T10:41:00.000+05:302008-01-28T10:41:00.000+05:30कल इस वाकिये को थोडा सा मैंने भी देखा था। लेकिन हि...कल इस वाकिये को थोडा सा मैंने भी देखा था। लेकिन हिन्दी की फज़ीहत होती देख और उस कार्यक्रम के भोंडेपन और मातृभाषा की दुर्दशा पर आहत मैंने अपने पति की इस कार्यक्रम के प्रति तीखी टिप्पणीयों को सुन बीच में बन्द कर दिया । पूरे समय अफसोस होता रहा की पारितोषिक लेने आये हुए व्यक्ति आम बोल-चाल की भाषा भी शुद्ध नहीं बोल पा रहे थे। साजिद से ऒर अपेक्षा ही क्या करी जा सकती है? इसी तरह के भोंडेपन में वो माहिर हैं।जागरुकता तो स्वयं दर्शकों में आनी चाहिये और ऐसे कार्यक्रमों और उनके संयोजन पर ,हिन्दी के अपमान पर कुछ तो करना ही चाहिये।anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.com