आनन्द
स्मृतियां !
दीवार पर चस्पा,
काई की परतें।
कल्पनाएं !
बंद किवाड़ों की बिवाइयों
से झांकता आंगन ।
स्मृतियां/ कल्पनाएं
अतीत/ भविष्य
और, वर्तमान ?
मुरझा गया है,
बंद किवाड़ों के आंगन में
खड़े शजर की तरह।
अतीत मृत्यु
है,
स्मृतियां मृत्यु का आलिंगन।
भविष्य
अज्ञात है,
कल्पनाएं अरण्य में भटकना
अतीत और भविष्य से परे
स्मृति और कल्पनाओं से विलग
वर्तमान ही जीवन है।
वहीं आनन्द है।
वही आनन्द है।
वाह क्या बात है. बहुत ही बढ़िया और उम्दा
ReplyDeleteशुक्रिया आपका बहुत बहुत