Tuesday, April 2, 2013

अहसास


अपरिचित एक
अनजाना- सा!
मौन मिलन के भाव-सा!
मन में उठती टीस-सा
वह आया,  किन्‍तु...!
जाने कब चला गया!
भाव शून्‍य-सा,
 नि:शब्‍द खड़ा,
मैं उस पथ पर !
फिर आएगा, भाव वेग-सा
प्रेम पथ,आलोकित करता!
वह...!
अपरिचित, एक
अनजाना-सा...!
***