Sunday, February 3, 2008

नेता प्रशिक्षण संस्थान

बेरोजगार हूं! कहानी, व्यंग्य, लेख कब तक गढ़ता रहूंगा। इतने दिन से गढ़ रहा हूं, फिर भी बेरोजगार ही कहलाया जा रहा हूं। कभी-कभी लगता है, मैं खुद ही व्यंग्य-कथा का पात्र बनता जा रहा हूं।
कब तक यूं ही हाथ पर हाथ धरे बैठा रहूंगा? बेरोजगार कहलाया जाता रहूंगा? कब तक परिवार के लिए घृणा का पत्र बना रहूंगा? नौकरी की संभावनाएं क्षीण है, क्योंकि नौकरी के लिए आवश्यक योग्यता मुझ में नहीं हैं। कार्य में निपुणता, निष्ठा, ईमानदारी, मेहनत आजकल बेमानी हो गई हैं। नौकरी करनी है, तो चमचई आनी चाहिए, मक्खन लगाना आना चाहिए, हिलाने के लिए एक अदद पूंछ चाहिए, तलवे चाटने के लिए स्वाद-ग्रंथी-विहीन जीभ चाहिए। कुल मिलाकर पांव-पान-पूजा में निपुण होना चाहिए। ऐसी किसी भी योग्यताओं से संपन्न होता, तो बेरोजगार ही क्यों कहलाया जाता?
सोच रहा हूं, अपना ही कोई रोजगार शुरू कर लूं! किस्म-किस्म की दुकानदारियों में संभावनाएं तलाशता हूं। निगाह की सुई शिक्षा के क्षेत्र पर आकर अटकती है। क्योंकि मौजूदा दौर शिक्षा के क्षेत्र में श्वेत-क्रांति का दौर है। शिक्षा से संबंधित दुकान कैसी भी हो चांदी ही चांदी है।
शिक्षा के क्षेत्र में भी वैरायटी बहुत हैं। मसलन आई टी, सीए, एमबीए, पत्रकारिता, चिकित्सा, बीएड आदि-आदि। मगर ऐसी किसी भी दुकान में संभावनाएं कुछ खास नजर नहीं आ रही हैं। हालांकि दुकानदारी इनमें चकाचक है, मगर ऐसी दुकानें खुल भी बहुत गई हैं। एक और ऐसी दुकान खोल कर बेरोजगारी को ही बढ़ावा देना होगा। मैं नहीं चाहता एक अदद अपनी बेरोजगारी समाप्त कर बेरोजगारों की फौज खड़ी करूं!
विचार कर रहा हूं कि शिक्षा के ही क्षेत्र में किसी ऐसी उप-क्षेत्र में भाग्य आजमाया जाए, जिसमें बेरोजगारी की संभावनाएं न के बराबर हों। दिमाग जब इस तरफ दौड़ाता हूं, तो भिखारी, जेबतराशी, चोरी आदि ऐसे क्षेत्र पाता हूं। जिनमें कितने ही प्रशिक्षित विद्वान पैदा हो जाएं, बेरोजगार रहने की संभावनाएं न्यून ही हैं, क्योंकि ये सभी सद्कर्म स्वरोजगार की श्रेणी में आते हैं।
मगर लोचा यहां भी है, क्योंकि इन सभी के प्रशिक्षण दुकानें काफी तादाद में चल रही हैं, इसलिए संबद्ध दुकान खोलने पर प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। एक बिलकुल अछूता क्षेत्र मेरे जहन में उतरा है, वह है नेतागीरी!
नेता-प्रशिक्षण संस्थान खोलने की तरफ अभी शायद किसी का ध्यान नहीं गया है, इसलिए विश्व में शायद कहीं भी ऐसा प्रशिक्षण संस्थान नहीं है, जो नेतागीरी के लिए युवाओं को प्रशिक्षित करता हो! इसमें बेरोजगारी की गुंजाइश तो बिलकुल है ही नहीं, भविष्य में भी नहीं! अर्थात वर्तमान और भविष्य दोनों चकाचक, मेरा भी और प्रशिक्षित नेताओं का भी।
अंतत: मैं इसी पर अपना ध्यान केंद्रित कर ऊर्जा का भरपूर इस्तेमाल कर रहा हूं। इसके लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी तैयार कर लिया है।
पाठ्यक्रम का पहला पाठ में प्रशिक्षु को 'इंसेल्ट प्रूफ' बनने के तरीके व उसके लाभ से अवगत कराया जाएगा। मेरा मानना है कि 'इंसेल्ट प्रूफ' होना नेता का प्रथम व महत्वपूर्ण गुण है। जो व्यक्ति मान-सम्मान की परवाह करता है, वह कभी भी सफल नेता नहीं बन सकता!
दूसरा पाठ 'समस्या' उत्पादन व उन्हें जीवित रखने से संबंधित है। समस्याएं यदि नहीं होंगी अथवा उनका निराकरण कर दिया जाएगा, तो समूची राजनीति ही भैंस की तरह पानी में चली जाएगी! मुद्दों का अभाव हो जाएगा! चुनाव प्रक्रिया नीरस क्या, समाप्त ही हो जाएगी। यह कहने में भी कोई हर्ज नहीं है कि 'समस्या' नहीं रही तो लोकतंत्र भी खतरे में पड़ सकता है! अत: 'समस्या' का पाठ भी अपने आप में कम महत्वपूर्ण नहीं है!
परोक्ष-अपरोक्ष रूप से समस्या का संबंध 'आश्वासन' से है! समस्या होगी तो उसके निराकरण का भी आश्वासन देना ही होगा। वैसे भी इस देश की अधिसंख्य जनता आश्वासनों के ही सहारे जिंदा है और नेता की नेतागीरी भी! जहां आश्वासन कमजोर पड़ते हैं, वहां आत्महत्याओं का दौर शुरू हो जाता है। इस प्रकार नेताओं पर हिंसक होने का आरोप लगने लगता है। अत: तीसरा पाठ 'आश्वासन' विधि से संबद्ध ही निर्धारित किया गया है! आश्वासन किस प्रकार गढ़े जाएं और किस तरह उन्हें भुला दिया जाए, चुनाव आने पर पुन: उन्हें स्मरण करने व कराने की विधि क्या है? इस पाठ में आदि-आदि पढ़ाए जाने की योजना है।
समस्या और आश्वासन के गणित के लिए 'झूठ' बोलना अति आवश्यक है, इसलिए पाठ्यक्रम में चौथा और महत्वपूर्ण पाठ 'झूठ' से संबंधित है। झूठ बोलने की विधि और झूठ को सच में कैसे तब्दील किया जाए इस पाठ का महत्वपूर्ण हिस्सा होगा!
'भ्रष्टाचार की 101 विधियां' हमारे पाठ्यक्रम का महत्वपूर्ण भाग है। विधियों के साथ-साथ इस पाठ्यक्रम में भ्रष्टाचार को शिष्टाचार में तब्दील करने की विधियों में भी प्रशिक्षुओं को निपुण किया जाएगा।
मैं चाहता हूं कि मेरे 'नेता प्रशिक्षण संस्थान' से निष्णात हो कर जब प्रशिक्षु सार्वजनिक क्षेत्र में कद रखे, तो सफलता उसके कदम चूमें! जनता उसमें अपना सुनहरी भविष्य देखे।
पाठ्यक्रम अभी फाइनल नहीं किया है, यदि कोई विषय मेरी बुद्धि की पकड़ से छूट गया हो और आपके जहन में उतर रहा हो, तो कृपया मुझे अवगत कराने का कष्ट करें। आपके प्रत्येक नेताई सुझाव का स्वागत है!
संपर्क 9868113044