Saturday, May 31, 2008

मसला एक अदद लाइसेंस का है !

दिल्ली पुलिस ने एक चौराहे से ट्रैफिक पुलिस-वर्दी-धारी एक शख्स को गिरफ्तार किया। वह कमबख्त व्यवसायिक वाहनों से अवैध वसूली का गैर-कानूनी धंधा कर रहा था। फिर तो पुलिस ने गिरफ्तार करना ही था। उसे गिरफ्तार कर पुलिस ने वास्तव में कानून का पालन किया। यह आश्चर्य की बात नहीं है, पुलिस भी कभी-कभी कानून का पालन कर लेती है! वैसे तो पुलिस का काम केवल कानून का पालन करवाना है, कानून का पालन करना नहीं! हो, सकता है, कभी-कभी अभ्यास के लिए कानून का पालन करने संबंधी नागरिक-दायित्व का निर्वाह करना पुलिस की मजबूरी होती हो!

अब आप पूछेंगे कि उस शख्स की वसूली अवैध वसूली क्यों थी? पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर कानून का पालन कैसे किया? प्रश्न के पक्ष में आपका तर्क होगा कि ट्रैफिक पुलिस की वर्दी पहने लोगों को आपने अक्सर वसूली करते देख है। एक-दो बार आपने भी जेब ढीली कर ऐसे कर्तव्यपरायण वर्दी-धारियों के राष्ट्रीय-दायित्व में महत्वपूर्ण योगदान दिया है आपका तर्क भी जायज है और प्रश्न भी।

आपका कहना उचित है कि टै्रफिक-पुलिस की वर्दी पहने लोग चौराहों, दोराहों, राजपथों, जनपथों पर अक्सर वसूली करते रहते हैं। मगर वसूली के इस परम्-कर्म के लिए उनके पास सरकारी लाइसेंस होता है, अत: उनकी वसूली वैध वसूली होती है। जिस कमबख्त को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, उसके पास ऐसा कोई लाइसेंस नहीं था। बस यही गलती थी, उस कमबख्त की। उसे यदि वसूली करनी ही थी, तो लाइसेंस न सही पुलिस विभाग से फ्रैंचाईज ही ले लेता। ट्रैफिक वार्डन बन जाता, खुल्ला-खेल फर्रुखाबादी खेलता! वैध वसूली करता!

संपर्क - 9717095225