Wednesday, October 10, 2007

राजनीति के ब्लैक होल




राजनीति विज्ञानी मुन्नालाल आजकल दिल्ली में हैं। उनके प्रेमियों ने उन्हें राजनीति विज्ञान के स्टीफन हाकिंग के नाम से नवाजा है। अधिसंख्य जनता उनके सिद्धांत आज भले ही न समझ पाती हो, मगर सभी उनका एक झलक पाने के लिए आतुर रहते हैं। उन्हें सुनना चाहते हैं। उनके सारगर्भित लेख पढ़ना चाहते हैं। वैज्ञानिक सिद्धांतों के आधार पर राजनीति के रहस्य सुलझाना उनकी महान उपलब्धि है। उन्होंने सिद्ध किया है कि छुट-भइया नेता और भ्रष्टाचार की शुरूआत वोट बैंक राजनीति से हुई। राजनीति के वायुमंडल में जिसकी परिणति ब्लैक होल के रूप में हुई। यह उन्होंने आइंस्‍टीन के सापेक्षवाद के सिद्धांत के आधार पर सिद्ध किया है।
विज्ञानी मुन्नालाल दिल्ली से पूर्व मुंबई में व्याख्यान दे चुके हैं। वहां उनके एक व्याख्यान का विषय था, 'संक्षेप में हमारा राजनैतिक ब्रह्माण्ड' और दूसरा विषय था, 'भविष्य में भ्रष्टाचार।' इन व्याख्यानों में मुन्नालाल ने 'लीडर ट्रैक' से शुरू कर 'सत्ता' के चारो तरफ विभिन्न ग्रहों की परिक्रमा व अन्य ग्रहों के निवासियों का राजनीति की भूमि पर आक्रमण विषयों पर चर्चा की थी। गांधी युग के बाद से राजनैतिक आकाश में कितने परिवर्तन आए, उन्होंने इस विषय पर भी प्रकाश डाला है। दिल्ली में उनके व्याख्यान का विषय होगा, 'राजनैतिक आकाश' में ब्लैक होल।
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या थी। विज्ञानी मुन्नालाल का व्याख्यान सुनने के लिए जनमानस मनमोहन हॉल में घुसने के लिए इस तरह धक्का-मुक्की कर रहा था, हाल के भीतर सरकार जैसे बाढ़ पीड़ितों के लिए गुड़-चने बांट रहा हो। धीरे-धीरे मनमोहन  हॉल खचाखच भर गया। कुछ देर इंतजार के बाद उदघोषक ने मुन्नालाल के पधारने की घोषणा की। लोगों की निगाहें मंच के बैक डोर की तरफ उठी। दरअसल आजकल के महान नेता ऐसे ही बैक डोर के माध्यम से राजनैतिक मंच पर प्रवेश करते हैं।
हाकिंग की मुख मुद्रा का मास्क ओढ़े मुन्नालाल मंच पर पधारे। हॉल में एकत्रित संपूर्ण जनमानस ने घुटनों के बल झुक कर मुन्नालाल के शान में सजदा किया। हाकिंस की तर्ज पर मुन्नालाल ने धीरे से अपनी गर्दन बाई तरफ लुढ़काई और मुस्करा कर जनमानस का अभिवादन स्वीकार किया।
मुन्नालाल ने रडार के एंटीना की तरह हॉल की चारो दिशाओं में निगाह घुमाई और फिर बोले-'वर्तमान राजनीति से शोषित मेरे भाइयों और बहनों! नेताओं के सम्मान में कब तक घुटनों के बल झुके रहोगे। राजनैतिक ब्रह्माण्ड के रहस्य समझने का प्रयास करो, वरना तुम्हें एक दिन घुटने के बल रेंगना पड़ेगा।'
लानत-मनानत देने के बाद विज्ञानी आगे बोला, 'इस ब्रह्माण्ड के जटिल रहस्य समझाने के लिए आज फिर मैं आपके सामने उपस्थित हूं। शोषित भाइयों और बहनों राजनैतिक -ब्रह्माण्ड   दरअसल इतना प्रदूषित हो चुका है कि उसे एनेलाइज करने में मुझे भी एड़ी से चोटी तक पसीना बहाना पड़ा।'
वास्तव में राजनैतिक सृष्टिं अनिश्चितता (अनसर्टेटी) के सिद्धांत से बंधी है। इसलिए राजनीति और लोकतंत्र के भविष्य के बारे में जानना फिलहाल मुमकिन नहीं है। निश्चिततावाद (डिटर्मिनिजम) और अनिश्चिततावाद (अनसर्टेटी) विषय पर आजादी के बाद से ही बहस चल रही है। फिर भी अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका है। लेकिन आईंस्‍टीन के सापेक्षवाद और उसके उसके बाद क्वांटम सिद्धांत के आधार पर हम कुछ निष्कर्षो पर पहुंचे हैं।
प्राप्त निष्कर्षो के आधार पर कहा जा सकता है कि ब्रह्माण्ड के किसी कण की तरह नेता के भी दो प्रमुख गुण होते हैं-उसकी स्थिति (पोजीशन)और गति (मूवमेंट)। नेता की गति भ्रष्टाचार से संचालित है। इसलिए गति मापना नामुमकिन है। गति मापने चलेंगे तो उसकी स्थिति नहीं माप पाएंगे, क्योंकि नेता हमेशा गतिशील रहता है। मेरा दावा है कि नेता की गति ईश्वर भी नहीं माप पाया है। इसलिए नेता की गति का अनुमान उसके तरंग गुणों (वेव/मूड) से ही लगाया जा सकता है। जब तक नेता की गति व स्थिति का पता नहीं चलेगा तब तक राजनीति और लोकतंत्र के भविष्य के बारे में विज्ञान तो क्या ईश्वर भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है।
गर्दन इधर उधर ढलकाते हुए मोहक अंदाज में मुन्नालाल आगे बोले- दया के पात्र मेरे भाइयों-बहनों! वर्तमान राजनीति के आधार लोकतंत्र का विखंडन किया जाए तो परमाणु के रूप में सत्ता दृष्टिंगोचर होती है। उसका पुन: विखंडन करने पर नाभिक (न्यूक्लिअर) के रूप में कुर्सी के दर्शन होते हैं।
नाभिक (कुर्सी) के चारों तरफ नेता व अपराधी नाम के दो तत्व लगातार परिक्रमा कर रहे हैं। परमाणु विखंडन में एक तीसरा तत्व भी हाथ लगता है और वह है मतदाता। विज्ञान की भाषा में सूक्ष्म इन तत्वों को क्रमश: प्रोटोन, इलेक्ट्रोन और न्यूट्रोन कहते हैं। प्रोटोन की तरह नेता की प्रकृति धनात्मक, इलेक्ट्रोन की तरह अपराधी की प्रकृति ऋणात्मक होती है और न्यूट्रोन की तरह मतदाता निष्क्रिय होता है। नेता व अपराधी नाम के ये दोनो तत्व अपनी-अपनी प्रकृति के अनुसार एक दूसरे को आकर्षित करते हैं। वास्तव में इस प्रकृति के कारण इन दोनों का गठजोड़ बन जाता है। विज्ञान की भाषा में जिसे नैक्सस कहते हैं। क्योंकि मतदाता नामक तत्व अपनी प्रकृति के अनुरूप निष्क्रिय है, इसलिए राजनीति की न्यूक्लियर (कुर्सी) पर शेष दोनों ही तत्वों का नैक्सस हावी रहता है।
राजनैतिक वायुमंडल में 'ब्लैक होल' उत्पन्न होने के भी यही कारण हैं। नेता व अपराधी नामक दोनों ही तत्व एक कृत्रिम पदार्थ 'भ्रष्टाचार' से ऊर्जा प्राप्त करते हैं। भ्रष्टाचार की तुलना हम प्रकृति के कृत्रिम पदार्थ प्लास्टिक से कर सकते हैं। प्लास्टिक की तरह भ्रष्टाचार नामक यह तत्व भी कभी नष्ट न होने वाला है।
भ्रष्टाचार से नेता-अपराधी नैक्सस जब ऊर्जा प्राप्त करते हैं तो उस समय होने वाली रासायनिक प्रक्रिया से खतरनाक गैसें निकलती हैं। जिस तरह प्लास्टिक से निकलने वाली खतरनाक गैसें वायुमंडल के सुरक्षा कवच ओजोन पर्तो में छिद्र कर ब्लैक होल का निर्माण करती हैं। उसी प्रकार भ्रष्टाचार से निकलने वाली खतरनाक गैस भी राजनैतिक वायुमंडल के सुरक्षा कवच 'शुचिता, नैतिकता और राष्ट्रवाद' में छिद्र कर ब्लैक होल का निर्माण करती हैं। ये ब्लैक होल आकार में इतने विशाल होते हैं कि अनेकों सत्ताएं इनमें समा सकती हैं।
विज्ञानी मुन्नालाल ने अपने भाषण में आगे कहा भाइयों और बहनों ये ब्लैक होल दिखने में इतने श्वेत होते हैं कि राजनीतिक क्षितिज में दैदीप्त सितारों की चमक भी इनके कृत्रिम प्रकाश के सामने धूमिल पड़ जाती है और ये ब्लैक होल सितारों का भ्रम पैदा करने लगते है। इसलिए राजनीति के हे, शोषित भाइयों बहनों! राजनैतिक  ब्रह्माण्ड   के रहस्य को जानों और कृत्रिम ब्लैक होल के भ्रम से दूर रह कर राजनीति के वास्तविक सितारों को पहचानो।
विज्ञानी मुन्नालाल ने अपना व्याख्यान समाप्त किया और सजल नेत्रों के साथ फिर उसी बैक डोर से वापस लौट गया।
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