Sunday, January 13, 2008

हस्तिनापुर साम्राज्‍य में चुनाव-अंतिम

दुर्योधन और यक्ष प्रश्न
टिकट प्राप्त करने की अंतिम परीक्षा के लिए दुर्योधन सूर्यकुंड के नजदीक पहुंचा और मंजूषा एक किनारे रख बोला, 'हे, महामहिम यक्ष! मैं तुम्हें प्रणाम करता हूं। आप जहां कहीं भी हैं, कृपया प्रकट हो करे मुझे कृतार्थ करें। मैं हस्तिनापुर युवराज दुर्योधन इंद्रप्रस्थ संसदीय क्षेत्र के लिए टिकट प्राप्ति की इच्छा से आपकी शरण में आया हूं।'
दुर्योधन के वचन सुन कुंड के अंदर से आवाज आई, 'युवराज दुर्योधन पहले यह बताओ कि कुंड के किनारे रखी यह मंजूषा कैसी?'
विनम्र भाव से दुर्योधन बोला, 'हे, यक्ष! राजनीति की भाषा में इसे सूटकेस कहते हैं। इसमें आपके सेवार्थ पुष्पम्ं-पत्रम्ं अर्थात एक खोका स्वर्ण-मुद्राएं हैं।' जल के अंदर से दो हाथ बाहर आए और मंजूषा उठाकर जल ही में 'सागर में गागर' की तरह विलुप्त हो गए।
एक क्षण के उपरांत श्वेत-वस्त्र धारण कर यक्ष कुंड से बाहर आए और बोले, 'हे, युवराज! आपके श्रद्धा-भाव से हम अति-प्रसन्न हुए। आप अवश्य ही टिकट पाने के अधिकारी हैं। किंतु हमारे प्रश्नों के दौर से गुजरने की औपचारिकता पूर्ण करनी ही होगी। ऐसा करना हमारी वैधानिक बाध्यता है।'
दुर्योधन बोला, 'महाराज मैं आपके प्रश्नों के उत्तर देने ही यहां आया हूं। मंजूषा तो श्रद्धा के वशीभूत औपचारिकता का निर्वाह है। पूछिए, आप प्रश्न पूछिए।'
-यक्ष का पहला प्रश्न था- राजनीति में सफलता प्राप्त करने का मूलमंत्र क्या है?
'पांव-पान-पूजा!'
-धर्म किसे कहते हैं?
'शक्तिवान पुरुष का वचन ही धर्म है!'
नेता का धर्म क्या है?
'केवल अर्थ!'
-धर्म प्राप्ति का एक मात्र साधन क्या है?
'भ्रष्टाचार! भ्रष्टाचार धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों पुरुषार्थो की प्राप्ति का एकमात्र साधन है!'
-मोक्ष क्या है?
'नेता का सत्ता में और सत्ता का नेता में विलीन होना ही मोक्ष है!'
-धर्म से बढ़कर क्या है?
'सत्ता धर्म से बढ़ कर है, क्योंकि यह भ्रष्टाचार का प्रमुख स्रोत है!'
-सबसे बड़ा सुख क्या है?
'सत्ता हथियाना!'
-सत्ता हथियाने का एक मात्र साधन?
'असत्य ही सत्ता प्राप्त करने का एक मात्र साधन है!'
-यश प्राप्ति का एक मात्र साधन?
'असत्य की साधना!'
-नेता की आत्मा कौन है?
'कुर्सी ही नेता की आत्मा है और वह परिवर्तनशील है!'
-भाग्य द्वारा प्राप्त नेता का मित्र कौन है?
'चमचा ही भाग्य द्वारा प्राप्त मित्र है!'
-वह क्या है, जिसके नियंत्रण से नेता को प्रसन्नता होती है?
'अफरसाही पर नियंत्रण पाकर नेता को प्रसन्नता का अनुभव होता है!'
-किसका त्याग कर नेता सर्वप्रिय हो जाता है?
'मान-सम्मान का त्याग कर नेता सर्वप्रिय हो जाता है!'
-किस वस्तु के त्याग से नेता को शोक नहीं होता?
'आदर्श व सिद्धांत के त्याग से नेता को शोक नहीं होता!'
-नेता की सफलता में अवरोध कौन-कौन से हैं?
'मूंछ और नाक सफलता में बाधक हैं!'
-तप क्या है?
'कुर्सी साधना ही तप है!'
- शक्ति का स्रोत?
'विश्वासघात!'
-सबसे बड़ी क्षमा क्या है?
'अनियमितताओं पर धन का पर्दा डालना ही सबसे बड़ी क्षमा है!'
-लज्जा के कारण?
'जनहित के कार्य और विचार लज्जा के कारण हैं!'
-सबसे बड़ी दया क्या है?
'परिवार हित की इच्छा सबसे बड़ी दया है!'
-सरलता किसे कहते हैं?
'समाज सेवक का अभिनय ही सरलता है!'
-कर्म-अकर्म की पहचान क्या है?
'स्वहित कर्म और जनहित अकर्म हैं!'
-अपने-पराए की पहचान क्या है?
'जो व्यक्ति आपके आगे पूंछ हिलाए उसे अपना और जो मूंछों पर ताव दे उसे पराया जान!'
-मूर्ख कौन है?
'जो नेता अधिकारों को छोड़ कर्तव्यों की तरफ दौड़ता है और जनहित के कार्यो को तत्परता के साथ पूर्ण करता है, वह मूर्ख है! ऐसा नेता उस मूर्ख व्यक्ति के समान है जो उसी डाली को काट रहा है, जिस पर वह बैठा है!'
- नेता का कौन सा ऐसा धन है, जो दोनो हाथों लुटाने पर भी बढ़ता ही जाता है?
'वायदे और आश्वासन ही एक मात्र ऐसे धन हैं, जिन्हें जितना लुटाया जाता, उतना ही वृद्धि को प्राप्त होते हैं!'
- राजा का कर्तव्य?
'अपनी व परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करना!'
- कौन राजा सुखी है?
'जिसकी प्रजा दुखी है!'
-कौन राजा दुखी है?
'जिसकी प्रजा सुखी है!'
-उत्तम राजा कौन है?
'जो दुख के सागर में डूबी प्रजा को सुख का अहसास कराए!'
प्रश्नोत्तर अध्याय समाप्त कर यक्ष बोला, 'वत्स दुर्योधन हम आपके व्यवहार और बुद्धि कौशल से प्रसन्न हुए। एक अच्छे नेता के सभी गुण तुम्हारे अंदर विद्यमान हैं। जाओ वत्स जाओ, अपने चुनाव क्षेत्र में जाओ और मतदाताओं को सुख का अहसास कराओ। टिकट तुम्हारे पीछे-पीछे आ रहा है। ईश्वर तुम्हारा कल्याण करे।'

संपर्क - 9868113044