Sunday, January 20, 2008

महंगाई का अर्थशास्‍त्र- दो

उम्मीदवार ने दरवाजा खटखटाया,
मतदाता ने दरवाजा खोला।
फिर अरहर की दाल से पीले दांत
निपोर कर बोला।
अरे! यह क्या?
तुम तो प्याज की तरह बाजार से गायब थे।
नई फसल की तरह इस आवक के पीछे राज क्या है?
कुछ तो बतलाओ वत्स, बात क्या है?
उम्मीदवार ने पहाड़ी आलू सा मुंह खोला।
फिर यूं बोला-
तेरे द्वार पर आया हूं,
बस वही एक अदद वोट मंगने आया हूं।
मतदाता भाव बढ़ाते हुए बोला-
वोट देना मजबूरी है।
इसलिए वोट तो जरूर मिलेगा।
मगर आलू-प्याज का हिसाब देना पड़ेगा।
अभी तक इमली के पत्ते पर दंड लगाई है।
मतदाता को खूब राह दिखाई है।
बच्चू! अब मतदाता की बारी है।
अब हम तुम्हें तेल दिखाएंगे,
तेल की धार दिखाएंगे।
दाल आटे का भाव बताएंगे।
महंगाई की मार क्या होती है,
इसका अहसास कराएंगे।
उम्मीदवार ने आदतन पाला बदला।
बातों-बातों में बातों का रस घोला।
फिर कुछ इस तरह बोला।
माई-बाप, मेरे आका, मेरे मालिक।
महंगाई तो प्रकृति का प्रकोप है,
उस पर नहीं किसी का जोर है।
चाहता तो मैं भी हूँ,
हर चीज टके सेर बिक जाए।
ईमान की तरह हर चीज सस्ती हो जाए।
मगर फिर 'अंधेर नगरी चौपट राजा'
की कहावत तुम्हीं दोहरा ओगे।
फिर मुझे ही मूर्ख ठहराओगे।
प्याज के दाम बढ़ा कर हमने ज्यादती नहीं की है।
बस गरीब के 'खाजे' को अहमियत दी है।
तुम्ही तो कहते थे,
किसी भी राज ने गरीब को सम्मान नहीं दिया है।
हमने प्याज के भाव बढ़ा कर,
उसे मेवों का सा सम्मान दिया है।
गरीब पर कम से कम एक तो उपकार किया है।
इस पर भी आंख दिखाते हो,
वोट न देने का डर जताते हो।
वोट न दोगे, वोट फिर भी तेरी ही पाऊंगा
सुन! असली न सही,
बोगस वोट से जीत कर दिख लाऊंगा।
ऊपर वाले की दुआ रही,
तो तेरे ही नाम के वोट से
संसद पहुंच जाऊंगा !
संपर्क – 9868113044

1 comment:

  1. वोटर की बेबसी को दर्शाती एक मन को छू लेने वाली रचना....आप की उस मास्टर जी वाली कविता में किसी ने टिप्पणी दी थी कि मास्टरजी ट्यूशन नहीं पढ़ाते होंगे...........हम क्यों किसी रचना के पीछे का मर्म समझ नहीं पाते या उस से लापरवाही से भागने की कोशिश करते हैं....क्योंकि ये रचनाएँ हमें आइना दिखा रही होती हैं।
    मैंने पहले भी कहा था, फिर से दोहरा रहा हूं कि जो थोड़ा बहुत मुझे हिंदी का ज्ञान है, वह यही है कि वही कविता श्रेष्ट है जो एक रिक्शा हांकने वाले को भी समझ में आ जाए और उसे हिला कर कुछ भी थोड़ा बहुत सोचने पर बाध्य कर दे। आप की रचनाओँ में वह जादू है.....इसे कायम रखिए।

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