रात स्टार प्लस टीवी चैनल पर एक अवार्ड फंक्शन के दौरान हिन्दी भाषा की खुल कर खिल्ली उड़ाई जा रही थी और हिन्दी फिल्म जगत की जानीमानी हस्तियों के साथ कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ल, भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलास राव देशमुख हिन्दी के अपमान पर मुस्करा रहे थे।
स्टार प्लस पर 'नोकिया 14 एन्युअल स्टार स्क्रीन अवार्ड' वितरण समारोह की झलकियां दिखलाई जा रही थी। मंच संचालन एक महिला के साथ साजिद खान कर रहे थे। समारोह के प्रारंभ में साजिद खान ने स्वयं को परिमल त्रिपाठी के रूप में प्रस्तुत किया और मंच-संचालन राष्ट्रभाषा हिन्दी में करने की घोषणा की। घोषणा के साथ ही समारोह में उपस्थित लोगों के चेहरों पर मुस्कान दौड़ने लगी। इसी के साथ शुरू हो गया हिन्दी के उपहास का क्रम। साजिद खान अंग्रेजी का हिन्दी में भ्रष्ट अनुवाद कर करके लोगों को हंसाने लगे। इस भ्रष्ट अनुवाद के तहत गीतकार के स्थान पर पद-लेखक, डायलॉग के लिए वार्तालाप और डिस्ट्रिब्यूशन का अनुवाद विभाजन के रूप में कर मनोरंजन किया जाता रहा। यह क्रम काफी देर तक चलता रहा।
खेदपूर्ण और शर्मनाक बात यह है कि उस समारोह में जिनके बीच हिन्दी का अपमान किया जा रहा था, वे सभी हिन्दी के बल पर ही स्टार बने हैं और हिन्दी ही की कमाई से अरबपति बने हुए हैं। इससे भी ज्यादा शर्मनाक बात यह है कि कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला और भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा जिनकी मातृभाषा शायद हिन्दी ही होगी! वे भी साजिद की चुटकियों पर हंसते रहे। जबकि यह उन दोनों के लिए यह निहायत ही अपमानजनक वाकया होना चाहिए था। श्री सिन्हा तो उस भाजपा के नेता है, जो हिन्दी, हिन्दु, हिन्दुस्तान पर गर्व करने का दावा करती है।
यह राजभाषा हिन्दी अथवा हिन्दी भाषा-भाषी इस राष्ट्र के करोड़ों लोगों का ही अपमान नहीं है, अपितु समूचे राष्ट्र का अपमान है। सरकार से मेरा आग्रह है कि जिस प्रकार राष्ट्रगान, राष्ट्रध्वज के अपमान के लिए दण्डित करने का प्रावधान है, उसी प्रकार राजभाषा हिन्दी का अपमान करने वालों के खिलाफ भी कानून बनाया जाना चाहिए। वोट बैंक लालच में यदि सरकार ऐसा करने में असमर्थ है, तो फिर हिन्दी से राजभाषा का कथित सम्मान भी वापस ले ले। हिन्दी अपने बल पर अपना सम्मान सुरक्षित कर लेगी।
कल इस वाकिये को थोडा सा मैंने भी देखा था। लेकिन हिन्दी की फज़ीहत होती देख और उस कार्यक्रम के भोंडेपन और मातृभाषा की दुर्दशा पर आहत मैंने अपने पति की इस कार्यक्रम के प्रति तीखी टिप्पणीयों को सुन बीच में बन्द कर दिया । पूरे समय अफसोस होता रहा की पारितोषिक लेने आये हुए व्यक्ति आम बोल-चाल की भाषा भी शुद्ध नहीं बोल पा रहे थे। साजिद से ऒर अपेक्षा ही क्या करी जा सकती है? इसी तरह के भोंडेपन में वो माहिर हैं।जागरुकता तो स्वयं दर्शकों में आनी चाहिये और ऐसे कार्यक्रमों और उनके संयोजन पर ,हिन्दी के अपमान पर कुछ तो करना ही चाहिये।
ReplyDeleteअरे आपने तो हमारे मन की बात कह दी। आज ही हम इस पर लिखने वाले थे।
ReplyDeleteहर आदमी अवार्ड तो हिन्दी फिल्म के लिए लेता पर हिन्दी बोलने मे असमर्थता दिखाता ।
दिल तार तार हो गया बेशर्मी देख.
ReplyDeleteहाँ कल देखी यहाँ हिन्दी की दुर्दशा ,हिन्दी बोलने में सब शर्म महसूस कर रहे थे :(
ReplyDeleteहम मजे में हैं। गांधी जी के बन्दर की तरह टीवी देखते ही नहीं!
ReplyDeleteये भांड-नचैये जूते खाकर ही सुधरते हैं, जैसे हुसैन का हुक्का पानी बन्द किया है, वैसे ही इन हिन्दी की खाने वालों और अंग्रेजी की बजाने वालों को लतियाना चाहिये… इनसे अच्छे तो इरफ़ान पठान और धोनी हैं जो अभी तक मिट्टी की महक भूले नहीं हैं…
ReplyDeleteबहुत ही शर्मनाक था सबकुछ. जिस तरह से हिन्दी का मजाक उड़ाया गया, निहायत ही घटिया लगा.......लेकिन एक बात मैं कहना चाहूँगा.
ReplyDeleteजिस परिमल त्रिपाठी की आड़ में ये सबकुछ किया गया, वह परिमय त्रिपाठी का किरदार फ़िल्म चुपके-चुके से लिया गया था. फ़िल्म में परिमल त्रिपाठी बने धर्मेन्द्र एक जगह डेविड जी से कहते हैं; "भैया ये सबकुछ करते हुए मुझे बड़ी शर्म आ रही है. कहीं मेरी वजह से अंग्रेजी भाषा का अपमान तो नहीं हो रहा."
डेविड जी की प्रतिक्रिया; "बरखुरदार, भाषा अपने आप में ख़ुद इतनी महान होती है कि उसका अपमान कोई कर नहीं सकता."
इसलिए, साजिद खान जैसे टुच्चे लोगों से हिन्दी बहुत बड़ी है. ऐसे लोगों की वजह से भाषा का मजाक तो बन सकता है, अपमान कभी नहीं हो सकता.
टी वी न देखने की आदत के चलते यह प्रोग्राम भी नही देख पाया लेकिन इस और अन्य ब्लॉग्स से मालूम हुआ कि ऐसा कुछ हुआ है।
ReplyDeleteहिंदी का ऐसा मजाक बनाया जाना निश्चित ही निंदनीय है!!
आपकी बात का यहाँ उल्लेख किया गया है:
ReplyDeletehttp://www.tarakash.com/special/insult-of-Hindi-in-Star-Screen-Cine-Award-08.html
aap bilkul sahi kah rahe hai rajendraji, maine bhi yae sab dekha aur likhta ki aapki post par nazar chali gaee. maine bhi iske pahle jikra kiya tha tv ko lekar ki agar aap hindi ki behtargi ke liyae kuch kar nahi sakte to uska is tarah se apmaan na karo. kya chutiyae ki tarah anuvaad kar rahe the, gaali dene ka man kar raha tha. ise bhi dekhe, garv see kaho nahi jaante hindi....gaahe-bagaahe blog par
ReplyDeleteयदि किसी मित्र ने कार्यक्रम ना देखा हो तो वीडियो यहाँ देखें.
ReplyDeletehttp://www.radiosargam.com/films/archives/10426/videos-14th-annual-star-screen-awards.html/6
हिन्दी के नाम पर अवार्ड लेने वालों को शर्म आनी चाहिये अंग्रेजी से एेसा ही प्यार है तो सिनेमा को अंग्रेजी में क्यों नहीं बना लेते होना तो ये चाहिए था कि थोडा इस तरह का विरोध पत्रकारिता के क्षेत्र में भी होना चाहिए था जिसे जनता जागती।
ReplyDeleteशिवकुमार मिश्र की बात बिलकुल सही है. फिर भी अगर कोई अपनी ..... पर तुला हो तो उसे उसके हाल पर ही छोड़ दिया जाना चाहिए. ऐसे बेवकूफों और बेहूदों की चर्चा करने की भी जरूरत नहीं होनी चाहिऐ.
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